मानव शरीर थर्मोरेग्यूलेशन (Thermoregulation) नामक प्रक्रिया के माध्यम से अपने तापमान को प्रभावी ढंग से नियंत्रित करता है। मानक शरीर का तापमान लगभग 37°C (98.6°F) होता है, और यह सुनिश्चित करने के लिए कई तरह के तंत्र मौजूद हैं कि यह तापमान स्थिर रहे। आइए इस महत्वपूर्ण प्रक्रिया की बारीकियों पर गौर करें:
1. हाइपोथैलेमस का कार्य
– हमारे मस्तिष्क का एक हिस्सा, हाइपोथैलेमस, शरीर का थर्मोस्टेट है। यह शरीर के तापमान को नियंत्रित करता है और इसे स्थिर बनाए रखने का काम करता है।
– जब शरीर का तापमान बढ़ता है या घटता है, तो हाइपोथैलेमस शरीर को तदनुसार प्रतिक्रिया करने के लिए संकेत भेजता है।
2. पसीना आना (Sweating)
– जब शरीर का तापमान बढ़ने लगता है (जैसे गर्म मौसम में या शारीरिक मेहनत के दौरान), तो शरीर पसीना निकालता है।
– पसीना त्वचा की सतह से वाष्पित होकर ठंडक पहुँचाता है, जिससे शरीर का तापमान नियंत्रित होता है।
3. रक्त वाहिकाओं का फैलना और संकुचन (Vasodilation and Vasoconstriction)
– वसोडिलेशन (Vasodilation): जब तापमान बढ़ता है, तो रक्त वाहिकाएं फैल जाती हैं ताकि त्वचा की सतह पर अधिक रक्त प्रवाहित हो और गर्मी बाहर निकल सके।
– वसोकंस्ट्रिक्शन (Vasoconstriction): जब शरीर का तापमान कम हो जाता है (जैसे ठंडे मौसम में), तो रक्त वाहिकाएं संकुचित हो जाती हैं ताकि गर्मी बाहर न निकल सके और शरीर गर्म रहे।
4. कंपन (Shivering)
– ठंड में शरीर कंपने लगता है, जिससे मांसपेशियों में संकुचन होता है और गर्मी उत्पन्न होती है। यह शरीर को गर्म रखने में मदद करता है।
5. मेटाबोलिक क्रियाएं (Metabolic Activities)
– भोजन के पाचन और ऊर्जा के उत्पादन के दौरान शरीर में गर्मी उत्पन्न होती है। यह गर्मी भी शरीर के तापमान को बनाए रखने में सहायक होती है।
6. ब्राउन फैट (Brown Fat) का उपयोग
– ब्राउन फैट, जो मुख्य रूप से शिशुओं में पाया जाता है, गर्मी उत्पन्न करने के लिए वसा को जलाने में मदद करता है, विशेषकर ठंडे मौसम में।
7. परिधानों और वातावरण का सहारा लेना
– गर्मियों में हल्के कपड़े पहनना और सर्दियों में गर्म कपड़े पहनना, और पंखा, हीटर आदि का उपयोग करके शरीर का तापमान नियंत्रित करना सामान्य व्यवहार है जो हमें बाहरी तापमान में शरीर के तापमान को बनाए रखने में सहायक होता है।
इन प्रक्रियाओं के संयोजन से मानव शरीर अपने तापमान को नियंत्रित करता है और बाहरी मौसम में होने वाले बदलावों के बावजूद शरीर को स्वस्थ और कार्यशील बनाए रखता है।
यदि मानव शरीर तापमान बनाए रखने में असमर्थ हो जाए, तो यह स्थिति हाइपोथर्मिया (Hypothermia) या हाइपरथर्मिया (Hyperthermia) में बदल सकती है। ये दोनों ही स्थितियाँ खतरनाक हो सकती हैं और इससे शरीर की विभिन्न क्रियाएं प्रभावित हो सकती हैं। आइए इसके कारण और उपायों को विस्तार से समझें:
1. शरीर द्वारा तापमान बनाए रखने में असमर्थता के कारण
(a) हाइपोथर्मिया (Hypothermia) के कारण
– अत्यधिक ठंडे वातावरण में लंबे समय तक रहना: जैसे बर्फीले स्थानों पर बिना उचित कपड़ों के रहना, A.C. में लम्बे समय तक रहना ।
– गीले कपड़े पहनना: ठंडे वातावरण में गीले कपड़े शरीर की गर्मी को तेजी से कम कर देते हैं।
– मेटाबोलिज्म की कमी: बुजुर्गों, कुपोषण और कुछ बीमारियों के कारण शरीर के मेटाबोलिज्म में कमी आती है जिससे शरीर में गर्मी नहीं बनती।
– शराब का सेवन: शराब शरीर में रक्त वाहिकाओं का विस्तार कर देती है जिससे शरीर की गर्मी बाहरी वातावरण में तेजी से निकल जाती है, इसलिए शराब के सेवन के समय थोड़े देर तक तो गर्मी का अनुभव होता है परन्तु फिर थोड़ी देर में hypothermia की स्थिति उत्पन्न हो जाती है।
– थकावट या कमजोरी: शरीर में ऊर्जा की कमी से गर्मी उत्पन्न करने की क्षमता कम हो जाती है।
(b) हाइपरथर्मिया (Hyperthermia) के कारण
– अत्यधिक गर्म वातावरण में रहना: गर्मी में सीधे धूप में रहने से शरीर का तापमान बढ़ सकता है, जिसे हम आम भाषा में लू लगना कहते हैं।
– शरीर में पानी की कमी: पसीने के माध्यम से शरीर ठंडा रहता है, लेकिन पानी कम पीने से और डिहाइड्रेशन से पसीना नहीं बन पाता, जिससे शरीर में गर्मी बढ़ जाती है।
– मोटापा: अधिक वजन के कारण शरीर का तापमान नियंत्रण तंत्र सुस्त हो सकता है।
– बुखार और संक्रमण: कुछ बीमारियों में शरीर का तापमान सामान्य से अधिक बढ़ सकता है।
– तंत्रिका तंत्र की समस्या: हाइपोथैलेमस या अन्य तंत्रिका समस्याओं के कारण तापमान नियंत्रण प्रभावित हो सकता है।
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2. तापमान को नियंत्रित रखने के उपाय
> हाइपोथर्मिया से बचने के उपाय:
– उपयुक्त कपड़े पहनना : ठंडे मौसम में गर्म और लेयरिंग कपड़े पहनें, ताकि शरीर से गर्मी बाहर न निकल सके। ऊनी और थर्मल कपड़े सबसे अच्छे होते हैं।
– गीले कपड़े तुरंत बदलें: गीले कपड़े जल्दी बदलें, विशेषकर ठंडे मौसम में, क्योंकि ये तेजी से शरीर की गर्मी छीन सकते हैं और शरीर को गरम करने की प्रक्रिया को लागु करें।
– ऊर्जा बढ़ाएं: गर्म पेय पदार्थ (कॉफ़ी,चाय)और ऊर्जावान भोजन का सेवन करें, जिससे शरीर की गर्मी बनी रहे। कैफीन या शराब से बचें, क्योंकि ये रक्त वाहिकाओं का विस्तार कर गर्मी खोने में सहायक हो सकते हैं।
– घर के अंदर रहें: अत्यधिक ठंड में बाहर कम जाएं और घर में हीटर का उपयोग करें। शरीर के तापमान को बनाए रखने के लिए हीटर, गर्म पानी की बोतल या अन्य गर्म स्रोतों का उपयोग करें।
> हाइपरथर्मिया से बचने के उपाय:
– ठंडे और हवादार स्थान पर रहें: गर्मी में सीधे धूप से बचें और जितना हो सके छाया में रहें। पंखा, कूलर, और एसी का उपयोग करें।
– पानी की मात्रा बढ़ाएं: खूब पानी पिएं ताकि शरीर पसीना बना सके और ठंडा रह सके। नींबू पानी, नारियल पानी, और इलेक्ट्रोलाइट्स लें।
– हल्के और ढीले कपड़े पहनें: सूती कपड़े पहनें ताकि पसीना आसानी से वाष्पित हो सके और त्वचा ठंडी रहे।
– थकावट से बचें: गर्मियों में अधिक मेहनत न करें और शरीर को पर्याप्त आराम दें।
– ठंडी वस्तुओं का उपयोग करें: ठंडे कपड़े या ठंडे पानी से स्नान करें। सिर, गर्दन और कलाई पर ठंडी पट्टी रखें ताकि शरीर की गर्मी कम हो सके।
अन्य सामान्य उपाय:
– शरीर के तापमान पर नज़र रखें: बच्चों, बुजुर्गों और बीमार लोगों का विशेष ध्यान रखें, क्योंकि उनके शरीर का तापमान जल्दी प्रभावित हो सकता है।
– समय-समय पर ठंडे और गर्म पेय पदार्थों का सेवन करें: मौसम के अनुसार अपने आहार में बदलाव करें तथा अत्यधिक गरम और अत्यधिक ठन्डे आहार के सेवन से भी बचे।
– तत्काल चिकित्सा सहायता लें: यदि शरीर का तापमान अत्यधिक बढ़ जाए या कम हो जाए और सामान्य उपाय कारगर न हो, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
निष्कर्ष: तापमान संतुलन बनाए रखने के लिए शरीर की प्राकृतिक थर्मोरग्युलेशन प्रणाली महत्वपूर्ण है। इन साधारण उपायों और सावधानियों से शरीर के तापमान को सामान्य बनाए रखा जा सकता है, जिससे स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से बचाव संभव है।
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